बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास , जाति, परिवार, पुत्र, घोड़े का नाम – रुणिचा गांव अर्थात रामदेवरा आज लाखों भक्त बाबा रामदेव जी को मानते हैं. बाबा रामदेव जी जिन्हें रामदेवपीर भी कहा जाता हैं. बाबा रामदेव जी आज राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता माने जाते हैं.
रामदेवरा में बाबा रामदेव जी जन्म जयंती पर हर साल मेला लगता हैं. लाखों भक्त इस मेले में देश-विदेश से आते हैं. लाखों भक्त रामदेवरा पैदल भी जाते हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास बताने वाले हैं. तथा बाबा रामदेव जी से जुडी सभी बातों पर चर्चा करेगे.
तो आइये इस बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास
बाबा रामदेव जी का जन्म 1409 ई में भादवे की बीज के दिन रुणिचा गांव के शासक अजमल जी के घर हुआ था. बाबा रामदेव जी की माता का नाम मैणादे था. और उनके बड़े भाई का नाम विरमदेव जी था.
ऐसा माना जाता है की रामदेव जी के पिता अजमल जी नी:संतान थे. संतान सुख की प्राप्ति के लिए अजमल जी ने द्वारकाधीश जी की भक्ति की थी. उनकी सच्ची भक्ति देखकर द्वारकाधीश जी ने उन्हें वरदान दिया था. की भादवे की बीज के दिन वह स्वयं आपके घर बेटा बनकर अवतरित होगे.
इस तरीके से अजमल जी के वहा द्वारकाधीश जी ने स्वयं भादवे की बीज को बेटे के रूप में जन्म लिया. बाबा रामदेव जी अवतारी पुरुष थे. उनका जन्म हुआ तब से उन्होंने चमत्कारी लीलाए करना शुरू कर दिया था.
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ऐसा कहा जाता है की उनके जन्म के समय महल में पानी से भरे बरतन दूध से भर गए थे. तथा आकाशवाणी होने लगी. आंगन में कुमकुम के पद चिन्ह बन गए. और घंटिया बजने लगी.
बाबा रामदेव जी जब बड़े हुए तो वह एक सच्चे समाज सुधारक बने. रामदेव जी ने जाति व्यवस्था का विरोध करके सामाजिक समरसता का संदेश दिया था. बाबा रामदेव जी ने जीव मात्र के प्रति दया, गुरु महिमा तथा मानव और पुरुषार्थ के गौरव को महत्व दिया.
समाज में अछूत कहे जाने वाले वर्ग के साथ बैठकर कर भजन आदि करना, धार्मिक आडम्बरों का विरोध करना, हिंदू मुस्लिम एकता पर बल देना जैसे आदि प्रमुख कार्य किए थे.
बाबा रामदेव जी ने अपने जीवन काल के दौरान 24 चमत्कार दिखाए थे. जिन्हें आज भी उनके भजन में याद किया जाता हैं. बाबा रामदेव जी ने महज 33 साल की उम्र में समाधी ले ली थी.
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आज के समय में बाबा रामदेव जी राजस्थान में प्रसिद्ध लोकदेवता हैं. उनके लाखों भक्त आज भी रामदेवरा उनके दर्शन करने के लिए जाते हैं. हर भादवी बीज रामदेवरा में मेला लगता हैं. जहा लाखों लोग हर साल बाबा रामदेव जी के दर्शन करने के लिए पहुँचते हैं.
यह लगभग तिन महीने तक चलता हैं. जिसमें सभी धर्मो के लोग जुड़ते हैं. लोग अपने मन की मुराद लेकर रामदेवरा जाते हैं. बाबा रामदेव जी की समाधी के दर्शन करने मात्र से भक्तो के दुख दूर हो जाते हैं.
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बाबा रामदेव जी की जाति क्या थी
बाबा रामदेव जी तोमर वंशीय राजपूत थे.
बाबा रामदेव जी ने समाधि कब ली थी
बाबा रामदेव जी ने विक्रम संवत 1442 में भादवा सूद एकादशी के दिन समाधी ली थी.
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बाबा रामदेव जी के परिवार
बाबा रामदेव जी के पिता का नाम अजमल जी और माता का नाम मैणादे था. बाबा रामदेव जी के बड़े भाई का नाम विरमदेव जी था. बाबा रामदेव जी ने सन 1426 में अमरकोट में विवाह किया था. जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित हैं. उनका विवाह दलपत जी सोढा की पुत्री के साथ हुआ था. बाबा रामदेव जी की पत्नी का नाम नैतलदे था.
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रामदेव जी के घोड़े का क्या नाम था
बाबा रामदेव जी के घोड़े का नाम लीला था.
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बाबा रामदेव जी के कितने पुत्र थे
बाबा रामदेव जी के पांच पुत्र थे. उनके नाम गजराजजी, महराजजी, भिंवोजी, बांकोजी और जेतोजी था.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास बताया. तथा बाबा रामदेव जी से जुडी काफी सारी बातें आपको बताई. हम उम्मीद करते है की आपको हमारा यह आर्टिकल उपयोगी साबित हुआ होगा.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास , जाति, परिवार, पुत्र, घोड़े का नाम आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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कयी मेघवाल कह रहे हैं कि बाबा रामदेव जी मेघवाल जाती से थे इसका इतिहास व पूरा वृतांत तो बताओ तंवर (तौमर) राजपूत जाति में अजमल जी के घर अवतार तो सर्वविदित हैं मगर मेघवाल के घर के जन्म का इतिहास हमें मालूम नहीं हैं कृपया सम्पूर्ण इतिहास बताने की कृपा करे (जय बाबा रामदेव जी महाराज की)