बालक के सिर का पहला मुंडन कब और कैसे करना चाहिए – हिंदू सनातन धर्म में किसी भी बच्चे के जन्म के बाद उसका मुंडन करवाया जाता हैं. मुंडन में बालक के बालों को काटा जाता हैं. और उनके देवी-देवता को अर्पित किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की बालक का मुंडन संस्कार करवाने से उसके पिछले जन्म के पाप धुल जाते हैं. और बालक को एक अच्छा जीवन मिलता हैं.
वैसे तो हिंदू सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं. जिसमें से बालक का मुंडन संस्कार आठवां संस्कार माना जाता हैं. यह बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है. इसलिए हर कोई समाज के लोग इस मुंडन संस्कार को करवाते हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की बालक के सिर का पहला मुंडन कब और कैसे करना चाहिए. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
बालक के सिर का पहला मुंडन कब और कैसे करना चाहिए / मुंडन संस्कार विधि
बालक के सिर का पहला मुंडन करवाने की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही हैं. लेकिन बालक का मुंडन कब करवाना चाहिए इस बारे में सभी लोगो के अलग-अलग मत दिखाई देते हैं. कुछ धर्म और समाज के लोग अपनी मान्यता और नियम अनुसार बालक के मुंडन के समय का चयन करते हैं.
लेकिन अगर सामान्य रूप से देखा जाए. तो कुछ लोग बालक का मुंडन जन्म होने के एक साल के अंदर करवा लेते हैं. तो कुछ लोग बालक के जन्म के बाद तीन, पांच या सात साल के बाद मुंडन संस्कार करवाते हैं.
कुछ लोग अपने समाज के गुरु या जिसे वह लोग मानते हैं. उनसे पूछकर ही मुंडन संस्कार करवाते हैं. वह लोग जो भी समय और तिथि का चुनाव करते हैं. वह मानकर स्वीकार कर लिया जाता हैं.
अगर बात की जाए मुंडन संस्कार करवाने के बारे में तो इसकी पूरी जानकारी हमने नीचे प्रदान की हैं.
- बालक का मुंडन संस्कार करवाने से पहले शुभ दिन निकालना जरूरी होता हैं. शुभ दिन निकालने के लिए आप किसी ज्योतिष या फिर ब्राह्मण की मदद ले सकते हैं.
- बालक का मुंडन कुछ लोग अपने घर के आंगन में ही करवाते हैं. तो कुछ लोग मंदिर या धार्मिक स्थल पर जाकर करवाते हैं.
- मुंडन संस्कार मंदिर के पुजारी के द्वारा करवाना शुभ माना जाता हैं. उन्हें मंत्रो का ज्ञान होता हैं. पुजारी मंत्र उच्चारण के साथ बालक का मुंडन संस्कार करते हैं.
- मुंडन संस्कार में पुजारी के हाथो से बालक के कुछ बालों को काटा जाता हैं. बाकी बचे बालों को किसी नाइ के द्वारा कटवाना पड़ता हैं.
- मुंडन हो जाने के बाद पुजारी के द्वारा दिया गया गंगाजल से बालक के सिर को धोया जाता हैं.
- इसके बाद बालक के बालों को देवी-देवता को अर्पित किया जाता हैं.
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मुंडन संस्कार मंत्र
ॐ यत क्षुरेण मज्जयता सुपेशसा, वप्ता वपति केशान। छिन्धि शिरो मस्यायुः प्रमोषीः
यह मुंडन संस्कार मंत्र माना जाता हैं. जो हर एक मुंडन संस्कार विधि में उच्चारण किया जाता हैं.
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मुंडन संस्कार सामग्री
मुंडन संस्कार में नीचे दी गई सामग्री की जरूरत पड़ती हैं.
- फुल और माला
- गाय का शुद्ध घी
- दूध, दही, शहद, शक्कर, घी से बना हुआ पंचामृत
- पूजा के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा
- चम्मच, कलश, थाली आदि जैसे बर्तन
- मिठाई और फल फ्रूट्स
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मुंडन संस्कार कब नहीं करना चाहिए?
नवरात्रि के दिनों में मुंडन संस्कार नहीं करना चाहिए. इन दिनों में मुंडन संस्कार करवाना अशुभ माना जाता हैं.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की बालक के सिर का पहला मुंडन कब और कैसे करना चाहिए . इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
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दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह बालक के सिर का पहला मुंडन कब और कैसे करना चाहिए आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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