छत का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए / घर का आंगन कैसा होना चाहिए – अपना घर बनाते समय हमें काफी चीजों को ध्यान रखना पड़ता हैं. वास्तु के अनुसार घर का निर्माण उत्तम माना जाता हैं. हमे सभी चीज़े वास्तु के अनुसार निर्माण करने के लिए वास्तु ज्योतिष कहते हैं. लेकिन हमे इस बारे में भी ध्यान रखना चाहिए की छत का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए. अगर छत का पानी सही दिशा में गिरता है तो शुभ माना जाता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से छत का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए / घर का आंगन कैसा होना चाहिए . तथा घर का ढलान और घर का आंगन कैसा होना चाहिए. इस बारे में आपको जानकारी प्रदान करने वाले हैं.
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छत का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए
अगर देखा जाए तो शहर में आपको अधिकतर मकान सपाट छत वाले देखने मिलेगे. इन छत पर ध्यान रखने वाली बात यह है की मकान के छत का ढलान किस दिशा में होना चाहिए.
कुंडली का 12वां भाव मकान की छत माना जाता हैं. अगर घर की छत सही रखेगे तो कुंडली का 12वां भाव भी अच्छा रहेगा. छत मुख्य तिन प्रकार की होती हैं. सपाट छत, ढालू छत और गोल छत. यह तीनों प्रकार की छत वास्तु के अनुसार बने तो अच्छा माना जाता हैं.
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छत का ढलान हमेशा दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व की तरफ होना चाहिए. इसे शुभ माना जाता हैं. घर के छत का ढलान इस दिशा के विपरीत नहीं होना चाहिए.
घर का आंगन कैसा होना चाहिए
आज के समय में काफी लोग फ्लैट में रहते है. तो आंगन होने का सवाल पैदा नही होता. लेकिन आपने कोई प्लाट लिया है. और घर का निर्माण करवा रहे है. तो घर का आंगन कैसा रखना चाहिए इस बारे में हम आपको बताएगे.
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घर में आंगन नहीं तो वह घर अधुरा है. भले ही छोटा या बड़ा घर में आंगन होना जरूरी है. और यह शुभ माना जाता हैं.
घर का आंगन कैसा होना चाहिए इस के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखे:
- वास्तु के हिसाब से घर का आंगन होना जरूरी हैं. आंगन घर और बाहर के भाग के बिच विभाजन करता हैं.
- वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा में आंगन शुभ माना जाता हैं. मतलब की उत्तर दिशा में आंगन अति उत्तम माना जाता हैं. तथा पूर्व दिशा में उत्तम माना जाता हैं. और पश्चिम दिशा में बना आंगन मध्यम माना जाता हैं.
- अगर घर का आंगन घर के बीचोबीच है. तो उसके उत्तर दिशा में पूजाघर और आग्नेय में रसोईघर बनाना शुभ माना जाता हैं. आंगन को मकान का ब्रह्म स्थल भी कहा जाता हैं. ब्रह्म स्थल हमेशा खुला और साफ रखे.
- घर के आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, कड़ी पत्ते का पौधा, नीम, आंवला आदि के पौधे लगाने चाहिए. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती हैं.
- तुलसी हवा को शुद्ध करती है. और कैंसर जैसे रोगों को मिटाती हैं. कड़ी पत्ते के सेवन से आँख की रोशनी हमेशा अच्छी बनी रहती हैं.
- हमारे घर के आंगन में चंपा, रातरानी, पारिजात, मोगरा और जूही के फुल के पौधे लगाना शुभ होता हैं.
- घर के आंगन में रंगोली बनाना अत्यंत शुभ माना जाता हैं.
घर की नाली किस दिशा में होनी चाहिए
घर की नाली ईशान, उत्तर-पूर्व या वायव्य तथा उत्तर-पश्चिम कोण की तरफ होनी चाहिए. मतलब नाली से इस इस दिशा की तरफ जल का बहाव होना चाहिए. नाली को ढककर रखना शुभ माना जाता हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान की पूर्व दिशा में जल का बहाव शुभ माना जाता हैं. अगर उत्तर दिशा में जल निकास है. तो धन लाभ होता हैं.
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दक्षिण दिशा में बहाव अशुभ हैं. इससे परिवार में कुछ ना कुछ बीमारी की समस्या रहती हैं. तथा पश्चिम दिशा में नाली से पानी का बहाव धन हानि कर सकता हैं. तो इस दिशा में नाली नही होनी चाहिए.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से छत का पानी दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व की तरफ गिरना शुभ माना है यह बताया. अगर आपकी छत का पानी इसके विपरीत दिशा में गिरता है. तो वास्तु के हिसाब से यह सही नहीं हैं. साथ में हमने आपको घर के आंगन के बारे में भी बताया. अगर आप घर का निर्माण करवा रहे है तो घर के आंगन पर जरुर ध्यान दे.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह आर्टिकल छत का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए / घर का आंगन कैसा होना चाहिए अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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छत का पानी दक्षिण पक्षिम में ढलान है
छत का पानी आँगन के पूरब दिशा में में हाँल मार कर पाईप के सहारे नीचे गिरानाहै
नल कुप उतर दिशा में है
रसोईघर भी ऊतर दिशा में है
आँगन का पानी पाईप के द्वारा पूरब दिशा में निकासी है
छत का पानी दक्षिण पश्चिम ढलान है
छत का पानी आँगन के पूरब दिशा में हाँल मार कर पाईप के सहारे नीचे गिराना है
नल कुप ऊतर दिशा में है रसोईघर भी ऊतर दिशा में है आँगन का पानी पाईप के द्वारा पूरब दिशा में निकासी है
मेरे पड़ोसी जो मेरे घर के पीछे रहते हैं उनके घर के पानी का पाइप मेरे घर के अग्नि कोण से निकल कर दक्षिण पश्चिम कोण पर है और वहां पर एक नल भी लगा दिया है।
क्या इससे हमे वास्तु दोष लगेगा?
Hello Suman ji, yah ek vastu dosh h, jiska niwaran karna jruri h, dhanywad