दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे – दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ

दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे – दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ – दुर्गा कवच के बारे में काफी कम लोगो को जानकारी होती हैं. माता दुर्गा का कवच का मतलब होता है. सुरक्षा घेरे में लेना. इससे माँ दुर्गा आपको घेरे में लेकर सुरक्षा प्रदान करती हैं. दुर्गा कवच पाठ करने से दुर्गा माता आपको सुरक्षा घेरे में ले लेती हैं. इसके पश्चात आपके आसपास कोई भी बुरी शक्तियां नहीं भटकती हैं.

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तथा आपके जीवन में आने वाली समस्या आने से पहले ही भाग जाती हैं. दुर्गा कवच का पाठ माँ दुर्गा की शक्तियों से भरपूर हैं. अगर आप भी दुर्गा कवच के पाठ के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहते हैं. तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे तथा दुर्गा कवच का पाठ कब करना चाहिए. इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे

दुर्गा कवच पाठ करने की संपूर्ण विधि हमने नीचे बताई हैं.

  • दुर्गा कवच का पाठ करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण कर ले.
  • अब एक आसन बिछाकर दुर्गा माता की प्रतिमा के सामने बैठ जाए.
  • इसके पश्चात दुर्गा माता को घी का दीपक जलाए.
  • अब श्रद्धा पूर्वक माता दुर्गा का ध्यान करे. तथा पूजा आदि करने के बाद पुष्प आदि अर्पित करे.
  • यह सभी प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के पश्चात पहले सप्तशलोकी दुर्गा पाठ करे.
  • इसके पश्चात दुर्गा कवच पाठ करना शुरू करे. अगर आप विशेष मनोकामना पूर्ति चाहते हैं. तो इस पाठ को तीन बार करे.
  • दुर्गा कवच का पाठ करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखे की पाठ बिलकुल शुद्ध भाषा में करना हैं. पाठ करते समय उसमें लिखे हुए शब्दों का सही उच्चारण करे.
  • यह पाठ आपको संस्कृत तथा हिंदी दोनों भाषा में मिल जाएगा. आप चाहे उस भाषा में दुर्गा कवच पाठ कर सकते हैं.

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दुर्गा कवच का पाठ कब करना चाहिए

सामान्य रूप से दुर्गा कवच का पाठ करने के पहले दुर्गा सप्त्शी का पाठ किया जाता हैं. इसके बाद ही दुर्गा कवच का पाठ किया जाता हैं. लेकिन अगर आप चाहे तो दुर्गा कवच का पाठ करने के पश्चात भी दुर्गा सप्त्शी का पाठ कर सकते हैं.

लेकिन दुर्गा कवच का पाठ करने से पहले या बाद में दुर्गा सप्त्शी का पाठ करना जरूरी होता हैं. आप दुर्गा कवच का पाठ नियमित रूप से या किसी भी एक दिन का चयन करके सुबह का शाम के समय कर सकते हैं.

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दुर्गा कवच पाठ के लाभ

दुर्गा कवच का पाठ करने से होने वाले कुछ लाभ हमने नीचे बताए हैं.

  • भुत-प्रेत आदि की बाधा से बचने के लिए दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए. इससे भुत-प्रेत आदि हमारे आसपास से भाग जाते हैं.
  • अगर किसी व्यक्ति पर भुत-प्रेत का शाया है. तो जातक को दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए. इससे बुरी शक्ति से निवारण मिलता हैं.
  • दुर्गा कवच का पाठ करने से हमारे आसपास माता दुर्गा का सुरक्षा घेरा बन जाता है. जिससे हम सभी प्रकार की समस्या से बच सकते हैं.
  • जब भी हम हमारे घर पर कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या धार्मिक कार्य करते हैं. तब विभिन्न प्रकार की बुरी बाधा अड़चन रूप बनती हैं. ऐसे में सबसे पहले दुर्गा कवच का पाठ करने से लाभ होता हैं.

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दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ

दुर्गा कवच संपूर्ण हिंदी में नीचे लिखा हुआ हैं.

दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ

 ऋषि मारकंडे ने पूछा जभी !

दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !!

कि जो गुप्त मंत्र है संसार में !

हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !!

हर इक का जो कर सकता उपकार है !

जिसे जपने से बेडा ही पार है !!

पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का !

जो हर काम पूरा करे सवाली का !!

सुनो मारकंडे मैं समझाता हूँ !

मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !!

कवच की मैं सुन्दर चौपाई बना !

जो अत्यंत है गुप्त देऊं बता !!

नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये !

उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!

कहो जय जय महारानी की !

जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!

पहली शैलपुत्री कहलावे ! दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !!

तीसरी चंद्रघंटा शुभनाम ! चौथी कुश्मांड़ा सुख धाम !!

पांचवी देवी स्कंद माता ! छटी कात्यायनी विख्याता !!

सातवी कालरात्रि महामाया ! आठवी महागौरी जगजाया !!

नौवी सिद्धिधात्रि जग जाने ! नव दुर्गा के नाम बखाने !!

महासंकट में वन में रण में ! रोग कोई उपजे जिन तन में !!

महाविपत्ति में व्योहार में ! मान चाहे जो राज दरबार में !!

शक्ति कवच को सुने सुनाये ! मनोकामना सिद्धि नर पाए !!

चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार ! बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !!

कहो जय जय जय महारानी की !

जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!

हंस सवारी वाराही की ! मोर चढी दुर्गा कौमारी !!

लक्ष्मी देवी कमल आसीना ! ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!

ईश्वरी सदा करे बैल सवारी ! भक्तन की करती रखवारी !!

शंख चक्र शक्ति त्रिशुला ! हल मूसल कर कमल के फ़ूला !!

दैत्य नाश करने के कारण ! रुप अनेक कीन है धारण !!

बार बार चरण सीस नवाऊं ! जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!

कष्ट निवारण बलशाली माँ ! दुष्ट संघारण महाकाली माँ !!

कोटि कोटि माता प्रणाम ! पूर्ण कीजो मेरे काम !!

दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ !

मेरी रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !!

कहो जय जय जय महारानी की !

जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!

अग्नि से अग्नि देवता ! पूर्व दिशा में ऐन्द्री !!

दक्षिण में वाराही मेरी ! नैऋत्य में खडग धारिणी !!

वायु से माँ मृगवाहिनी ! पश्चिम में देवी वारुणी !!

उत्तर में माँ कौमारी जी ! ईशान में शूल धारी जी !!

ब्रह्माणी माता अर्श पर ! माँ वैष्णवी इस फर्श पर !!

चामुंडा दस दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो !

संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!

सन्मुख मेरे देवी जया ! पाछे हो माता विजया !!

अजिता खड़ी बाएं मेरे ! अपराजिता दायें मेरे !!

उद्योतिनी माँ शिखा की ! माँ उमा देवी सिर की ही !!

माला धारी ललाट की, और भृकुटि की माँ यशस्वनी !

भृकुटि के मध्य त्रयनेत्रा, यम घंटा दोनो नासिका !!

काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी !

नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !!

संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!

ऊपर व नीचे होठों की ! माँ चर्चका अमृतकली  !!

जीभा की माता सरस्वती ! दांतों की कौमारी सती !!

इस कंठ की माँ चण्डिका ! और चित्रघंटा घंटी की !!

कामाक्षी माँ ठोड़ी की ! माँ मंगला इस वाणी की !!

ग्रीवा की भद्रकाली माँ ! रक्षा करे बलशाली माँ !!

दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारणी !

दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जगतारणी !!

शूलेश्वरी, कूलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी !

छाती स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जगवासिनी !!

हृदय उदर और नाभि के, कटि भाग के सब अंगों की !

गुह्येश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !!

घुटनों जन्घाओं की करे रक्षा वो विंध्यवासिनी !

टखनों व पाँव की करे रक्षा वो शिव की दासनी !!

रक्त मांस और हड्डियों से जो बना शरीर !

आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !!

बल बुद्धि अंहकार और, प्राण अपान समान !

सत, रज, तम के गुणों में फँसी है यह जान !!

धार अनेकों रुप ही रक्षा करियो आन !

तेरी कृपा से ही माँ सब का है कल्याण !!

आयु यश और कीर्ति धन सम्पति परिवार !

ब्रह्माणी और लक्ष्मी, पार्वती जगतार !!

विद्या दे माँ सरस्वती सब सुखों की मूल !

दुष्टों से रक्षा करो हाथ लिए त्रिशूल !!

भैरवी मेरे जीवन साथी की, रक्षा करो हमेश !

मान राज दरबार में देवें सदा नरेश !!

यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये !

कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाये !!

ऐ जग जननी कर दया, इतना दो वरदान !

लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !!

मनवांछित फल पाए वो, मंगल मोद बसाए !

कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर आये !!

ब्रह्माजी बोले सुनो मारकंडे!

यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !!

रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !

जगत की भलाई को मैंने बताया !!

सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित !

है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !!

मैं जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो !

सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !!

जो संसार में अपने मंगल को चाहे !

तो हरदम यही कवच गाता चला जा !!

बियावान जंगल दिशाओं दशों में !

तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !!

तू जल में, तू थल में, तू अग्नि पवन में !

कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !!

निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे !

अपने कदम आगे बढ़ता चला जा !!

तेरा मान धन धाम इससे बढेगा !

तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !!

यही मंत्र, यन्त्र यही तंत्र तेरा !

यही तेरे सिर से है संकट हटायें !!

यही भूत और प्रेत के भय का नाशक !

यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !!

इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर !

जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !!

इस कवच को प्रेम से जो पढे !

कृपा से आदि भवानी की, बल और बुद्धि बढे !!

श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम !

सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !!

कृपा करो मातेश्वरी, बालक मैं नादान !

तेरे दर पर आ गिरा, करो मैय्या कल्याण !!

!! जय माता दी !!

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे तथा दुर्गा कवच का पाठ कब करना चाहिए. इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे / दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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2 thoughts on “दुर्गा कवच का पाठ कैसे करे – दुर्गा कवच हिंदी में लिखा हुआ”

  1. I m not fully satisfied but got many unknown things knowledge but I want to know about myself for future as my dob 12.06.1973 time 11.05 pm at kangra himachal pradesh gotra garg (pandit)

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    • I m not fully satisfied but got many unknown things knowledge but I want to know about myself for future as my dob 12.06.1973 time 11.05 pm at kangra himachal pradesh gotra garg (pandit)

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