गुरु नानक देव जी की जन्म कथा | गुरु नानक देव जी की शिक्षाए, वंशज, मृत्यु

गुरु नानक देव जी की जन्म कथा | गुरु नानक देव जी की शिक्षाए, वंशज, मृत्यु | गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहा हुआ – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गुरु नानक देव जी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे. गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिख समुदाय के प्रथम गुरु थे. सिख धर्म में दस गुरु हुए जिनमे से गुरु नानक देव जी प्रथम थे. सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी भी लोगो को ईश्वर भक्ति के नए मार्ग तक जाने का रास्ता बताने के लिए इस धरती पर अवतरित हुए थे. आज हम आपको गुरु नानक देव जी के जीवन के बारे में तथा उनके जन्म और उनके द्वारा दी गई शिक्षा के बारे आपको बताएगे.

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गुरु नानक देव जी जन्म कथा

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल सन 1469 में पंजाब के तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था. गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कल्याणचंद एवं माता का नाम तृप्ता था. उनके पिता जी किसान थे. वर्तमान समय में तलवंडी पाकिस्तान में स्थित है. जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. और यह सिख धर्म का पवित्र स्थल हैं.

गुरु नानक देव जी का उपनयन संस्कार महज 13 साल की उम्र में ही हो गया था. जब नानक देव जी 16 साल के हुए तब 1496 में उनका विवाह हो गया था. उनकी धर्म पत्नी का नाम सुलखनी था और उनके दो पुत्र हुए जिनके नाम श्रीचंद और लक्ष्मीचंद था.

सन 1499 में 33 साल की आयु में गुरु नानक देव जी ने लोगो को संदेश देना प्रारंभ कर दिया था. गुरु नानक देव जी लगभग दुनिया के हर हिस्से में भ्रमण करके लोगो को संदेश देते थे. और उन्होंने धर्मो के बारे में अध्ययन किया और गलत बातों के प्रति लोगो को जागरूक करते थे. सन 1521 तक नानक देव जी ने भारत, अरब, फारस और अफगानिस्तान के प्रमुख स्थान की यात्रा कर ली थी. उनकी यात्राओं को उदासियां के नाम से जाना जाता था.

गुरु नानक देव जी के चार शिष्य थे. जिनका नाम रामदास, बाला, मरदाना और लहना था. नानक देव जी इन चारो शिष्यों के साथ ही यात्रा करते थे. गुरु नानक देव जी महज 28 साल की आयु में 60 से ज्यादा शहरो की यात्रा कर ली थी. उन्होंने मक्का मदीना तक की यात्रा भी कर ली थी.

गुरु नानक देव जी का 25 सितंबर सन 1539 में देह त्याग हुआ. देह त्याग से पहले नानक देव जी ने अपने शिष्य लहना को उत्तराधिकारी बनाया. जिन्हें लोग गुरु अंगद के नाम से जानते थे. माना जाता है की गुरु नानक देव जी ने ही भारत को हिंदुस्तान नाम दिया था. जब 1526 में बाबर ने भारत पर हुमला किया था तब नानक देव जी ने कहा था की “खुरासान खसमाना किआ हिंदुस्तान डराइआ.”

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गुरु नानक देव जी अंधविश्वास और दिखावे के कट्टर विरोधी रहे थे. वह धार्मिक कुरीति के खिलाफ अपनी आवाज उठाते थे. वह लोगो को समझाते थे की लोभ लालच बुरी बला है लोगो को हमेशा समानता, एकता, भाई चारा तथा प्रेम से रहना चाहिए. उन्होंने अपना पूरा जीवन धार्मिक संदेश देने में लगा दिया. गुरु नानक देव जी ने कुछ समय के लिए मुंशी का कार्य भी किया था लेकिन उनका मन उसमे नहीं लगा और वे अपना पूरा समय आध्यत्मिक विषय में लगाने लगे.

गुरु नानक देव जी ने समाज में काफी बदलाव लाया. उन्होंने लोगो के मन में यह भावना स्थापित की कि हर इंसान एक होता हैं चाहे वो किसी भी जाती और लिंग का हो सब समान है सबका समान अधिकार होता हैं. उनको विश्व में एकता, सच्चाई, शांति और ज्ञान लोगो तक पहोचाने के लिए याद किया जाता हैं.

गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहा हुआ

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 में पंजाब के तलवंडी नामक स्थान पर एक किसान परिवार में हुआ था.

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बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी

बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं निम्नलिखित हैं:

  • ईश्वर एक हैं
  • हमेशा एक ही ईश्वर की उपसना करे
  • मेहनत और ईमानदारी से उदरपूर्ति करनी चाहिए
  • ईश्वर की भक्ति करने वाले को कोई भी प्रकार का भय नही रहता
  • मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया धन जरूरतमंद की मदद में लगाना चाहिए
  • बुरा कार्य नही करना चाहिए
  • स्त्री और पुरुष को समान समझना चाहिए
  • भोजन जीवन के लिए जरूरी है लेकिन उसमे लोभ लालच और संग्रहवृति नहीं होनी चाहिए
  • हमेशा इंसान को प्रसन्न रहना चाहिए

गुरु नानक की मृत्यु कहा हुई थी | गुरु नानक की मृत्यु कैसे हुई

गुरु नानक देव जी की मृत्यु कतारपुर नामक एक स्थान है जो वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद है वहा 22 सितंबर सन 1539 में हुई थी. कतारपुर नामक नगर गुरु नानक देव जी ने बसाया था. जहा उन्होंने एक धर्मशाला भी खोली थी.

गुरु नानक देव जी के वंशज कौन थे

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी श्री राम के वंशज थे.

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने सिख धर्म के प्रथम संस्थापक गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय दिया. पंजाब के तलवंडी में 15 अप्रैल 1469 में उनका जन्म किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने सच्चाई, एकता और शांति का ज्ञान लोगो को दिया. और समाज सुधारक के कई कार्य किये. 22 सितंबर 1539 में उनका देह त्याग कतारपुर में हुआ. वे श्री राम के वंशज थे. आज भी हम गुरु नानक देव जी को याद करते हैं. सिख समुदाय आज भी गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व उनकी याद में हर वर्ष बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाते हैं.

दोस्तों आपको हमारा यह आर्टिकल (गुरु नानक देव जी की जन्म कथा | गुरु नानक देव जी की शिक्षाए, वंशज, मृत्यु | गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहा हुआ) अच्छा लगा होगा यह आशा करते हैं. हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

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