हवन के प्रकार कितने होते है – जाने हवन के पांच प्रकार कौनसे होते है – हिंदू सनातन धर्म में हवन को काफी महत्व दिया जाता हैं. इससे हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता हैं. पहले के समय में हमारे ऋषि मुनि भगवान को प्रसन्न करने के लिए हवन किया करते थे.
ऐसा माना जाता है की हवन के माध्यम से भगवान को भोग मिल जाता हैं. हिंदू सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले हवन किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की हवन करने से हमारे सभी कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण होते हैं. इसलिए हवन अतिउत्तम माना जाता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की हवन के प्रकार कितने होते हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
हवन के प्रकार कितने होते है
हवन के मुख्य प्रकार के बारे में हमने नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की हैं.
ब्रह्म यज्ञ
हवन के प्रकार में ब्रह्म यज्ञ को सबसे अहम् यज्ञ माना जाता हैं. इस यज्ञ में माता-पिता और पितृ का स्थान सबसे ऊपर होता हैं. इसके बाद देवता और इसके बाद ऋषि मुनि का स्थान माना जाता हैं. इस यज्ञ से पितृ, देवता, ऋषि मुनि सभी प्रसन्न हो जाते हैं.
देव यज्ञ
अगर आप घर में यज्ञ कर रहे हैं. तो देव यज्ञ को घर में करने वाले यज्ञ की श्रेणी में रखा जाता हैं. इस यज्ञ में सात लकड़ियों का प्रयोग किया जाता हैं. जामुन, पीपल, बड, आम, ढाक, जाटी ,शमी लकडियो को इस्तेमाल किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की यह यज्ञ करने से देव ऋण चुक जाता हैं. यह यज्ञ हमेशा ही गायत्री छंद के साथ किया जाता हैं.
ऐसा माना जाता है की घर में यह यज्ञ करवाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती हैं. तथा परिवार के सभी सदस्यों को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं. गृहस्थ जीवन के लिए यह यज्ञ काफी शुभदायी माना जाता हैं.
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पितृ यज्ञ
पितृ यज्ञ हमारे पितृ के लिए होता हैं. इस यज्ञ से हमारे पितृ शांत और तृप्त हो जाते हैं. अगर आप श्रद्धा पूर्वक इस यज्ञ को करवाते हैं. तो आपके पितृ प्रसन्न होते हैं. और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं.
अगर हमारे पितृ नाराज हैं. तो ऐसी स्थिति में ब्राह्मण पितृ यज्ञ करवाने की सलाह देते हैं. श्राद्ध पक्ष में इस यज्ञ का काफी महत्व हैं. इस यज्ञ के माध्यम से ही पितृ का श्राद्ध पूर्ण किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की इस यज्ञ से पित्रुओं तक खाना पहुंच जाता हैं. और इससे पितृ तृप्त हो जाते हैं.
वैश्व देव यज्ञ
वैश्व देव यज्ञ को भुत यज्ञ के नाम से भी जाना जाता हैं. यह यज्ञ हमारे शरीर यानी की हमारे शरीर में मौजूद पंच तत्व से जुड़ा हुआ होता हैं. हमारे शरीर में मौजूद पंच तत्व के लिए ही यह यज्ञ किया जाता हैं.
भोजन के समय में कुछ अंश अग्नि में डाले जाते हैं. इसके पश्चात कुत्ते और गाय को खिलाया जाता हैं. वेद और पुराण में इस यज्ञ को भुत यज्ञ कहते हैं.
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अतिथि यज्ञ
हमारे देश में अतिथि को भगवान का रूप माना जाता हैं. जब भी हमारे घर अतिथि आते हैं. हम उनका आदर पूर्वक स्वागत करते हैं. इसके बाद उन्हें सम्मान के साथ जल और खाना आदि खिलाते हैं.
मेहमानों की सेवा करना, किसी विधवा की मदद करना तथा जरूरत मंद लोगो दान देना यह सभी अतिथि यज्ञ के श्रेणी में आता हैं. सबसे बड़ी सेवा नर सेवा को ही माना गया है. इसलिए अतिथि यज्ञ भी अतिथि के सम्मान में करवाया जाता हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की हवन के प्रकार कितने होते है . इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह हवन के प्रकार कितने होते है – जाने हवन के पांच प्रकार कौनसे होते है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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