क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं – सम्पूर्ण जानकारी – मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सत्य माना जाता हैं. जिसे कोई भी नहीं टाल सकता हैं. अर्थात जिनका जन्म इस दुनिया में हुआ हैं. उनका मरना भी निश्चित हैं. जब भी किसी के घर के सदस्य की मृत्यु होती हैं. तो परिवार वालों को अत्यंत दुख का सामना करना पड़ता हैं. और कुछ दिनों तक तो परिवार वाले मृतक को भुला नहीं पाते हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं तथा मृत्यु के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
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क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके संबंध परिवार वालों के साथ तो वैसे के वैसे ही रहते हैं. फर्क सिर्फ इतना होता है की तब आपका परिचित जीवित था. आपके साथ शारीरिक रूप से मौजूद था. लेकिन मृत्यु के बाद सिर्फ उस व्यक्ति की यादे साथ रह जाती हैं.
वह हमारे साथ सिर्फ शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हैं. लेकिन हमारा उनके साथ जो संबंध था. वह तो वैसा का वैसा ही रहता हैं. इसलिए मृत्यु के बाद संबंध समाप्त नहीं होते हैं. उनकी शारीरिक मौजूदगी समाप्त हो जाती हैं.
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मृत्यु के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता
गरुड़ पुराण के अनुसार शव को अकेला नहीं छोड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है. की शव को कुत्ते बिल्ली जैसे जानवर नोचकर खा न ले. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद उसमें आत्मा नहीं होती हैं. सिर्फ शव ही होता हैं. अकेले शव में कोई भी आत्मा प्रवेश कर सकती हैं.
इसलिए अगर शव की रखवाली की जाए. तो कोई भी अन्य आत्मा शव के आसपास आने से डरती हैं. और शव के आसपास से दुरी ही बनाकर रखती हैं. इसलिए जब तक दाह संस्कार न हो जाए. शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता हैं.
मुखाग्नि क्यों दी जाती है
शव का अंतिम संस्कार करने से पहले उसको मुखाग्नि दी जाती हैं. मुखाग्नि मृतक की आत्मा की तृप्ति के लिए दी जाती हैं. हिंदू सनातन धर्म में यह परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही हैं. इसलिए परंपरा को निभाने के लिए भी मुखाग्नि दी जाती हैं.
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मुखाग्नि कौन दे सकता है
मुखाग्नि मृतक का बेटा, भाई, भतीजा, पति या पिता दे सकता हैं. अगर इसमें से कोई भी मौजूद नहीं है. तो कोई भी पुरुष मुखाग्नि दे सकता हैं. दुसरे लफ्जों में कहा जाए तो कोई भी स्त्री मुखाग्नि नहीं दे सकती हैं.
मनुष्य के मरने का शुभ समय कौन सा है
अगर किसी मनुष्य की मृत्यु सूर्यास्त के दो घंटे पहले या फिर सूर्योदय के दो घंटे बाद होती हैं. तो यह समय मनुष्य की मृत्यु का शुभ समय माना जाता हैं. तथा अग्नि संस्कार सूर्यास्त के दो घंटे पहले कर देना चाहिए. अगर किसी मनुष्य की मृत्यु रात्रि के समय होती हैं. तो अगले दिन सुबह के दस बजे बाद अग्नि संस्कार करना शुभ माना जाता हैं.
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श्मशान की तरफ पीछे मुड़ कर क्यों नहीं देखते
दाह संस्कार करने के बाद श्मशान की तरफ पीछे मुड कर देखना अशुभ माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की अगर आप दाह संस्कार के बाद पीछे मुड़कर देखते हैं. तो मृतक की आत्मा का मोह आपसे नहीं छूटता हैं. और वह आपके मोह में आपके आसपास ही भटकती रहती हैं.
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इसलिए आत्मा को लगना चाहिए की आपका उनके प्रति अब कोई मोह नहीं रहा हैं. इसलिए आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा हैं. ऐसा करने पर मृतक की आत्मा जल्दी ही भगवान की शरण में अपना स्थान ले लेती हैं.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं तथा मृत्यु के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह क्या मृत्यु के बाद संबंध समाप्त हो जाते हैं / मुखाग्नि कौन दे सकता है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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