शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है / महाशिवरात्रि व्रत नियम – सनातन धर्म में कोई भी त्योहार किसी ना किसी भगवान को समर्पित होता हैं. और उस दिन भगवान की पूजा-अर्चना की जाती हैं. तथा व्रत आदि रखे जाते हैं. ऐसा ही एक त्योहार हर साल मनाया जाता हैं.
जिसमें भगवान शिव को याद किया जाता हैं. जो शिवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं. इस दिन शिव भक्त शिवजी के नाम पर व्रत करते हैं. और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते है. शिवरात्रि पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है. तथा महाशिवरात्रि व्रत के नियम के बारे में भी बताने वाले हैं. इसके अलावा महाशिवरात्रि से जुडी अन्य जानकारी भी प्रदान करेगे.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
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शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है
शिवरात्रि के दिन अनशन व्रत रखा जाता हैं. व्रत में पुरे दिन अनाज नहीं खाया जाता हैं. शिवरात्रि का व्रत शिवरात्रि के दुसरे दिन स्नान आदि करने के बाद खोला जाता हैं. और इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सूर्योदय तथा चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य में व्रत का समापन करके व्रत खोलना चाहिए.
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महाशिवरात्रि व्रत नियम
महाशिवरात्रि व्रत के कुछ नियम हमने नीचे दिए है जिसका पालन करना जरूरी होता हैं.
- इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर फिर भी कोई बुजुर्ग है. या बीमार व्यक्ति है. तो फलाहारी नमक का सेवन कर सकते हैं.
- महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए.
- महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना चाहिए. तथा भजन आदि करना चाहिए.
- शिवजी को खट्टे फलों का भोग नहीं लगाना चाहिए. तथा सफ़ेद मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए.
- इस दिन पति-पत्नी को साथ मिलकर शिवजी की पूजा तथा भजन करने चाहिए. इससे पति-पत्नी के रिश्तें में मधुरता आती हैं.
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महाशिवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाता है / महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि व्रत तथा पूजा विधि निम्नलिखित तरीके से करनी चाहिए:
- सबसे पहले इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि करके व्रत लेने का संकल्प लेना चाहिए.
- उसके बाद सुंदर वस्त्र तथा पत्र-पुष्प आदि से मंडप तैयार करना चाहिए.
- इसके बाद कलश की स्थापना करके गौरी-शंकर और नंदी की स्थापना करनी चाहिए.
- अगर आपके पास गौरी-शंकर की मूर्ति नहीं है. तो शिवलिंग की स्थापना भी कर सकते हैं.
- इसके पश्चात कलश में शुद्ध जल भरकर चावल, सुपारी, पान, चंदन, दही, दूध, रोली, मौली, लौंग, कमलगट्टा, शहद, घी, धतुरा, बेलपत्र आदि भगवान शिव को अर्पित करके. उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
- पूजा करने के बाद रात्रि के समय जागरण करके शिवजी का भजन और स्तुति पाठ करना चाहिए.
- इस अवसर पर आप शिवपुराण का पाठ भी कर सकते हैं. यह आप के लिए मंगलकारी हो सकता हैं.
- रात्रि जागरण के पश्चात दुसरे दिन प्रात:काल तिल-खीर, जौ तथा बेलपत्र से भगवान शिव का हवन करे.
- हवन करने के पश्चात ब्राह्मण को भोजन आदि कराकर व्रत का पारण करना चाहिए.
- यह व्रत तथा पूजा-विधि स्वच्छ मन से करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
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महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है
महाशिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते है. और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. यह व्रत महिलाओं के लिए उत्तम फलदायी होता हैं.
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ऐसा माना जाता है. की यह व्रत रखने से जिन महिला का विवाह नहीं होता है. या फिर विवाह में बाधा आती है. तो उनका विवाह हो जाता हैं. और विवाहित महिलाएं अपने सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए भी यह व्रत रखा जाता हैं.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया की शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है. तथा महाशिवरात्रि व्रत नियम और पूजा-विधि भी बताई हैं.
आप भी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करके उनके शुभ आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ है तो आगे जरुर शेयर करे.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है / महाशिवरात्रि व्रत नियम आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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