महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए / महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता – महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का मंत्र माना जाता हैं. भगवान शिव का यह बहुत ही अचूक और असरकारक मंत्र माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की इस मंत्र से व्यक्ति मौत को भी मात दे सकता हैं.
किसी भी प्रकार की संकट की स्थिति में इस मंत्र का श्रद्धा और विश्वास पूर्वक जाप किया जाए. तो बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता हैं. इसलिए काफी लोग इस मंत्र का जाप भगवान शिव के समक्ष करते हैं. इस मंत्र के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता क्या हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए
महामृत्युंजय मंत्र का जाप आप सुबह या शाम को सूर्यास्त होने से पहले कभी भी कर सकते हैं. अगर आप किसी भी बाधा और समस्या से परेशान हैं. तो इस मंत्र का जाप आपको अवश्य ही करना चाहिए. इस मंत्र जाप से आपको ऊपरी बाधा से भी छुटकारा मिल सकता हैं.
इसके अलावा नाडी दोष, संतान संबंधित बाधा, गर्भनाश, मांगलिक दोष आदि समस्या से भी आप पीड़ित हैं. तो इन सभी समस्या के निवारण के लिए भी आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं.
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महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता
महामृत्युंजय मंत्र की कुछ विशेषता हमने नीचे बताई हैं.
- अगर आप किसी भी प्रकार का सुख पाना चाहते हैं. तो आपको भगवान शिव को खुश करना होगा. और भगवान शिव को खुश करने के लिए आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र की मुख्य विशेषता यही है की इस मंत्र जाप से भगवान शिव बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं. और जातक की मनोकामना स्वयं पूर्ण करते हैं.
- इसके अलावा दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव आदि दूर करने के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप लाभदायी साबित होता हैं.
- आयु बढाने के लिए और मौत को टालने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का विधान हैं.
- इस मंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है की यह मंत्र जातक की सभी प्रकार की समस्या का निवारण करने में सक्षम हैं.
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महामृत्युंजय मंत्र साधना विधि
महामृत्युंजय मंत्र संपूर्ण साधना विधि हमने नीचे बताई हैं.
- यह मंत्र आप सुबह या शाम कभी भी कर सकते हैं. अगर आप सुबह या शाम के समय इस मंत्र जाप करते हैं. तो स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद ही इस मंत्र का जाप करे.
- इस मंत्र का जाप करने से पहले एक बात का विशेष ध्यान रखे की मंत्र जाप के दौरान मंत्र उच्चारण सही तरीके से करे. नहीं तो मंत्र के अर्थ का अनर्थ हो सकता हैं. और इसका उल्टा प्रभाव भी आप पर पड़ सकता हैं.
- जब भी मंत्र जाप करे भगवान शिव की प्रतिमा के आगे ही मंत्र जाप करे. इसके अलावा कम से कम 108 बार मंत्र जाप जरुर करे. अगर आप इससे अधिक बार मंत्र जाप करते है. तो काफी अच्छा है. लेकिन कम से कम 108 बार जरुर करे.
- इस मंत्र जाप के दौरान मंत्र का उच्चारण बोलकर न करे. अर्थात उच्चारण होठो से बाहर नहीं आना चाहिए. मन ही मन मंत्र का जाप करे. इससे आपको अधिक लाभ होगा.
- जब भी मंत्र जाप करे रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करे.
- इस मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करे.
- मंत्र जाप के बाद भगवान शिव को भोग आदि लगाकर. उनसे हाथ जोड़कर क्षमा याचना करने के बाद अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करे.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता क्या हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
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दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए / महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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विट्टल जी हमारा हौशला बढ़ाने के लिए धन्यवाद