श्री सूक्त पाठ के लाभ / श्री सूक्त पाठ करने की विधि

श्री सूक्त पाठ के लाभ / श्री सूक्त पाठ करने की विधि – माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की माता लक्ष्मी जिस घर में विराजमान होती हैं. वहां धन-धान्य की कोई भी कमी नहीं होती हैं. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई प्रकार के टोटके तथा उनकी पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा माना जाता है की माता लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा करने से माता लक्ष्मी से हमें विशेष कृपा प्राप्त होती हैं.

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लेकिन ऐसा माना जाता है की श्री सूक्त पाठ करने से माता लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं. और हमारे घर में विराजमान होती हैं. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्री सूक्त पाठ के लाभ बताने वाले हैं. तो लाभ को जानने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्री सूक्त पाठ के लाभ तथा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

श्री सूक्त पाठ के लाभ       

श्री सूक्त पाठ करने के कुछ लाभ हमने नीचे बताए हैं.

  • काफी मेहनत करने के बाद आप धन की प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं. तो मान लीजिए की माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी नहीं हैं. माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए आपको नियमति रूप से श्री सूक्त पाठ करना चाहिए. श्री सूक्त पाठ करने से आपको शीघ्र धन की प्राप्ति होगी. तथा आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा.
  • श्री सूक्त पाठ करने से धन के साथ-साथ अच्छा आरोग्य भी मिलता हैं. हमे बीमारियों से छुटकारा मिल सकता हैं. और हम हमेशा के लिए स्वस्थ रह सकते हैं.
  • श्री सूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता हैं. आपके भाग्य में बदलाव आता हैं. आपको व्यापार में सफलता मिलती हैं. आपकी गरीबी दूर होती हैं. तथा परिवार में शांति बनी रहती हैं.
  • शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती हैं.
  • इस प्रकार से लगभग आपको सभी प्रकार के लाभ श्री सूक्त पाठ करने से मिल सकते हैं.

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श्री सूक्त पाठ करने की विधि

श्री सूक्त का पाठ करने की विधि हमने नीचे बताई हैं.

  • श्री सूक्त का पाठ आप किसी भी दिन नियमित रूप से कर सकते हैं. लेकिन शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ करना अच्छा माना जाता हैं. श्री सूक्त का पाठ आप सुबह या शाम के समय किसी भी समय कर सकते हैं. अगर आप चाहे तो दोनों समय श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं.
  • श्री सूक्त का पाठ करने से पहले आपको स्नान आदि करके साफ़ वस्त्र धारण कर लेने हैं. हो सके तो सफ़ेद वस्त्र धारण करे.
  • स्नान आदि करने के बाद अपने पूजा घर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे श्री सूक्त का पाठ करे.
  • पाठ की शुरुआत करने से पहले माता लक्ष्मी को पुष्प आदि अर्पित करे. पूजा अर्चना करे.
  • इसके पश्चात श्री सूक्त पाठ करने की शुरुआत करे. लेकिन पाठ करते समय एक विशेष बात का ध्यान ररखे की पाठ का उच्चारण सही तरीके से करे.
  • इस प्रकार से आप आसानी से श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं.

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श्री सूक्त पाठ क्या है

श्री सूक्त का संपूर्ण पाठ हमने नीचे बताया हैं.

श्री सूक्त पाठ

ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्,  चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।।  तां म आवह जात वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,  यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।।  अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्,  श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।।  कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं,  पद्मे स्थितां पद्म-वर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।।  चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव-जुष्टामुदाराम्,  तां पद्म-नेमिं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि।।  आदित्य वर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः,  तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।।  उपैतु मां दैव सखः, कीर्तिश्च मणिना सह,  प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे।।  क्षुत्-पिपासाऽमला ज्येष्ठा, अलक्ष्मीर्नाशयाम्यहम्,  अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान् निर्णुद मे गृहात्।।  गन्ध-द्वारां दुराधर्षां, नित्य-पुष्टां करीषिणीम्,  ईश्वरीं सर्व-भूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्।।  मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि,  पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।।  कर्दमेन प्रजा-भूता, मयि सम्भ्रम-कर्दम,  श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्म-मालिनीम।।  आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे,  निच देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले।।  आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, सुवर्णां हेम-मालिनीम्,  सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।  आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं, पिंगलां पद्म-मालिनीम्,  चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।  तां म आवह जात-वेदो लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,  यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्।।  यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्,  श्रियः पंच-दशर्चं च, श्री-कामः सततं जपेत्।।

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्री सूक्त पाठ के लाभ बताए है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह श्री सूक्त पाठ के लाभ / श्री सूक्त पाठ करने की विधि आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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