तिन पनौती अमावस्या की कहानी | तिन पनौती अमावस्या व्रत कथा

तिन पनौती अमावस्या की कहानी | तिन पनौती अमावस्या व्रत कथा – दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से तिन पनौती अमावस्या व्रत कथा सुनाने जा रहे हैं. जो इस प्रकार से है:

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तिन पनौती अमावस्या की कहानी | तिन पनौती अमावस्या व्रत कथा

एक गाँव में सास और बहु अकेले रहते थे. और उनका बेटा विदेश में कमाने के लिए गया था. सास और बहु बहुत अच्छे से रहते थे. दोनों एक दुसरे की देखभाल करते थे. एक दिन बहु ने खाना नही खाया तो सास ने बहु से पूछा की आज तुमने खाना क्यों नहीं खाया तब बहु ने कहा की सासु माँ आज मेरा तिन पनौती अमावस्या का व्रत हैं. इसलिए मैंने खाना नही खाया.

तब सासु ने कहा की बहु ये व्रत क्या होता है और यह व्रत करने से क्या फल मिलता है मुझे भी समझाओ तब बहु ने कहा की “सासु माँ तिन पनौती अमावस्या का व्रत करने से बहुत पूण्य मिलता है. घर में अन्न धन बना रहता हैं. सुख शांति रहती है तथा अटल सुहाग मिलता हैं. और पुत्र प्राप्ति होती हैं. इस व्रत में प्रत्येक वर्ष अलग अलग खाना खाया जाता है और विष्णु भगवान के मंदिर में चढ़ावा चढ़ाया जाता है या फिर किसी ब्राह्मण को दान दिया जाता हैं. इस व्रत में पहले साल शक्कर, घी और चावल से बना खाना खाया जाता हैं. पहले साल व्रत पूर्ण होने के बाद सवा किलो चावल और एक कटोरी घी तथा एक कटोरी शक्कर का दान किसी ब्राह्मण को दान दिया जाता हैं.”

दुसरे साल जौ, घी और शक्कर से बना खाना खाया जाता हैं. जब दुसरे साल व्रत पूर्ण हो जाए तो सवा किलो जौ, एक कटोरी घी तथा एक कटोरी शक्कर किसी मंदिर में चढ़ाए या फिर किसी ब्राह्मण को दान देना होता हैं.

तीसरे साल गुड, तिल और घी से बने व्यंजन खाने चाहिए. जब तीसरे साल व्रत पूर्ण हो जाए तो आधा किलो तिल, गुड तथा एक कटोरी घी किसी मंदिर में चढ़ाया जाता या फिर किसी ब्राह्मण को दान दिया जाता हैं. इसे ही तिन पनौती अमावस्या व्रत कहा जाता हैं. फिर बहु ने कहा की इस व्रत का अगर संकल्प लेते है तो इसे पूरा करना जरूरी होता है अगर पूरा नहीं कर सकते है तो सास बहु में झगड़ा और घर में अंशाति आती हैं.

तब सासु ने कहा की मेरी तो उम्र हो गई है लेकिन तुम यह व्रत करो. और बहु यह व्रत का आरंभ करती है लेकिन एक दिन बहु ने किसी के कहने पर गेहूं से बनी रोटी खाली और अमावस्या माता इस बात से नाराज हो गई. जो सास और बहु बहुत ही प्यार से रहती थी इन दोनों में झगड़े होने लगे सभी गाँव वाले भी हैरान हो गए की यह सब क्या हो रहा हैं. सास अपनी बहु को कहने लगी की तुम जबसे हमारे घर में बहु बनके आई हो तब से हमारे घर की लक्ष्मी चली गई हैं. तुम हमारे लिए शुभ नहीं हो.

तब बहु ने कहा की आप के घर की लक्ष्मी चली गई है तो कहा मिलेगी मुझे बताओ में लक्ष्मी को लेकर आउगी. तब सासु ने कहा की लक्ष्मी तुमको समुद्र के बिच में भगवान विष्णु के पैर दबाते हुए मिलेगी. तब बहु यह कहकर चली जाती है की अब जब तक मैं लक्ष्मी को लेके नहीं आउगी तब तक इस घर में पैर नहीं रखुगी. इतना कहकर बहु लक्ष्मी की खोज में निकल जाती हैं.

जब बहु लक्ष्मी को खोजने के लिए निकलती है तब उसे बिच रास्ते में एक गाय माता मिलती है. वह बहु से पूछती है की आप कहा जा रही हैं.तब बहु ने कहा की “हे गाय माता, मेरी सासु मुझे कहती है की मेरे आने से उन के घर में अन्न धन की कमी हो गई है. और उनके घर की लक्ष्मी चली गई है तो मैं लक्ष्मी को लेने जा रही हु. तब गाय माता ने कहा की “हे बेटी, अगर तुम जा ही रही हो तो भगवान से मेरे बारे में भी पूछ लेना.

तब बहु बोलती है की ठीक है गाय माता बताओ में आपके बारे में भी पूछ लुंगी. तब गाय माता बोलती है की “मेरा जब भी बछड़ा होता है वह मर जाता है जिंदा नही रहता तुम भगवान से पूछ लेना की मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा मैंने ऐसे कौनसे कर्म किये है. तब बहु बोली “गाय माता, मैं आपके बारे में जरुर पूंछ लुंगी.” यह कहकर बहु आगे बढती हैं.

अब आगे जाते ही बहु को एक घोड़ी मिलती है. जिसके गले में घट्टी बंधी हुई होती है. घोड़ी ने भी कहा की “बेटी तुम मेरे दुःख का निवारण भी भगवान से पूछ लेना”. तब बहु ने कहा “जरुर पूछ लुंगी यह कहकर बहु आगे बढती हैं.” आगे जाते ही बहु को एक अँधा और बहेरा बुजुर्ग मिलता है .वह भी बहु से अपनी समस्या भगवान से पूछने के लिए कहता है. तब बहु उसकी समस्या भी भगवान से पूछने का कहकर आगे बढती हैं. आगे जाते ही बहु को एक बूढी औरत मिलती है. जो हाथ और पैर से अपाहिज होती है. वह भी बहु से अपनी समस्या भगवान को पूछने के लिए कहती है. तब बहु उसके समस्या को भी पूछने के लिए तैयारी हो जाते है और आगे बढती हैं.

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आगे जाते ही बहु थक जाती है. और एक आम के पेड के निचे बैठ जाती है. तब आम का पेड खुश होकर बहु से पूछता है की “बेटी, तुम कहा से आई और कहा जा रही”. तो तब बहु बताती है वह लक्ष्मी को लेने जा रही है तब पेड भी अपनी समस्या भगवान को पूछने के लिए कहता की मेरे पेड पर लगे आम खट्टे ही क्यों होते है. इस बारे में भगवान को जरुर पूछना तब बहु उसकी समस्या लेकर आगे बढती हैं.

आगे जाते ही बहु को एक तलाई मिलती है वह भी बहु को बताती है की तुम भगवान से पूछना की मेरे तलाई का पानी इतना मैला क्यों है. कोई भी इसे नहीं पिता है तब बहु कहती है “जरुर पूछ लुंगी और कहकर आगे बढती हैं”.

बहुत दिन जंगल में चलते चलते बहु थक जाती है. उसे भूख भी लगी होती है. लेकिन खाने को नही मिलने से वह थक जाती है और जंगल में बेहोस हो जाती हैं. उसी समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी वहा विचरण करते हुए आते है. तब माता लक्ष्मी विष्णु जी से कहती है की “हे नाथ यह आपकी बहुत बड़ी भक्त है. आप इसके दुखो का निवारण करो. तब भगवान विष्णु कहते है की इस संसार में बहुत जीव दुखी है सभी अपने अपने कर्मो का फल भोग रहे है किस किस के दुःख का निवारण मैं करू.

तब माता लक्ष्मी ने विष्णु से विनंती की और कहा की वह भूखी प्यासी है. और इसे यहाँ अगर ऐसे ही छोड़ दिया तो जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना देंगे. माता लक्ष्मी की बात सुनकर भगवान विष्णु एक साधू का वेश धारण करते है और बहु के पास जाते हैं. और होश में लाते हैं.

बहु के होंश में आते ही साधू वेश में भगवान उस से पूछते है की वह यहाँ क्यों आई है और कहा जा रही है. तब बहु पूरी बात बताती है. उसकी बात सुनकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रकट होते है. उनके साथ अमावस्या माता भी प्रकट होती हैं. बहु उनके चरणों में गिरकर वंदन करती हैं.

अमावस्या माता बहु को कहती है की बेटी तूने मेरे व्रत को खंडित किया है. इसी की सजा मिली है तुम्हे लेकिन अब मैं तुम्हे माफ़ करती हु. और तुम घर जाओ तुम्हारा घर अन्न धन से सम्पन्न होगा. तुम्हारा घर सुंदर महल में बदल जाएगा और तुम्हारी सभी मनोकामना पूर्ण होगी.

यह सब होने के पश्चात बहु रस्ते में जो भी मिला उन सभी के दुखो का निवारण करने के लिए विनंती करती हैं. तब भगवान विष्णु बोलते है की गाय ने कभी अपना दूध किसी को नही पिलाया. उस वजह से उसके बछड़े जिंदा नही रहते है तुम उसका दूध पि लेना जिससे उसके बछड़े जिंदा रहने लगेगे.

घोड़ी पिछले जन्म में आटा पिसने वाली महिला थी. वह किसी को आटा पिसके नही देती थी इसलिए उसके गले में चक्की के पाट बंधे हुए है. तुम उसके पाट खोल देना. वह बिलकुल ठीक हो जाएगी. बुजुर्ग कभी भगवान के मंदिर नही गया और ना ही उसने कभी भगवान के भजन सुने तुम उसको मंदिर ले जाना और दर्शन करवा देना वह ठीक हो जाएगा.

बुजुर्ग महिला जो थी उसने कभी भी अपनी जवानी में दान पूण्य नही किया. इसलिए उसे यह सजा मिली हैं. तुम उस से दान करवा देना तो उसकी विकलांगता दूर हो जाएगी. उस आम के पेड ने कभी किसी बच्चे को अपने आम खाने नहीं दिए. इस लिए उसके सभी आम खट्टे होते है. तुम उस पेड का आम खा लेना फिर उस पेड पर मीठे आम आएगे. तलाई का पानी पिछले जन्म में देवरानी जेठानी थी. वह हमेशा झगडती रहती थी. इस लिए उसका पानी मैला है तुम उसका पानी पि लेना वह तलाई शुद्ध हो जाएगी.

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बहु ने भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और अमावस्या माता को नमन करके घर जाने के लिए निकलती है. और रास्ते उसे जो जो भी मिला उनके सभी समस्या भगवान के कहा अनुसार दूर करती है.  सभी उसे आशीर्वाद देते हैं. घर जाते ही उसका घर एक सुंदर महल में परिवर्तित हो जाता है तथा घर में अन्न धन भरा मिलता हैं. अब बहु सासु से कहती है की “सासु माँ, आप ने सच कहा था में आप के लिए शुभ नही हु मेरे जाने से ही आप के घर में लक्ष्मी आई है. अब आप यहाँ रहे में मरने जा रही हु.”

तब सासु ने कहा की हे बेटी यह सब तुम्हारे पनौती अमावस्या व्रत का फल हमें मिला है तुम यहाँ पर ही रहोगी कही नही जाओगी. और सास बहु खुशी खुशी रहने लगे. एक दिन उसका बेटा भी विदेश से लौट आया और घर में यह सब देखा तब उसकी माँ ने सब बात उसे बताई. इस तरह वह लोग खुशी खुशी रहने लगे.

निष्कर्ष

दोस्तों आज इस आर्टिकल (तिन पनौती अमावस्या की कहानी | तिन पनौती अमावस्या व्रत कथा ) के माध्यम से हमने आपको तिन पनौती अमवस्या की पूरी कथा सुनाई है. आशा करते है आपको आर्टिकल अच्छा लगा होगा. भगवान आपको प्रत्येक मनोकामनाए पूर्ण करे ऐसी हम प्रार्थना करते है इस कथा को अन्य लोगो तक पहुचाए और कथा का ज्यादा ज्यादा लाभ प्राप्त करावे. धन्यवान.

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