त्रिकाल ज्ञान मंत्र तथा जाप विधि / त्रिकाल दर्शन साधना – प्राचीन समय में हमारे सनातन धर्म में काफी ऋषि-मुनि तथा गुरु आदि त्रिकालज्ञानी हुआ करता थे. जो त्रिकाल ज्ञानी होते थे. वह भविष्य को देख पाते थे. बहुत कठिन साधना करने के पश्चात कोई भी त्रिकाल ज्ञानी बन पाता था. त्रिकाल ज्ञानी बनना आसान नहीं हैं. सालों को कड़ी मेहनत और साधना के बाद कोई व्यक्ति त्रिकाल ज्ञानी बन पाता हैं.
त्रिकाल ज्ञानी हर कोई बनना चाहता हैं. आज के वर्तमान समय में काफी लोग ऐसे हैं. जो त्रिकाल ज्ञानी बनना चाहते हैं. त्रिकाल ज्ञानी बनने के बाद व्यक्ति सर्वशक्तिमान बन जाता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से त्रिकाल ज्ञान मंत्र तथा जाप विधि और त्रिकाल दर्शन साधना बताने वाले हैं. इसके अलावा भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना बताने वाले हैं. यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
त्रिकाल ज्ञान मंत्र तथा जाप विधि
हमने नीचे दो त्रिकाल ज्ञान मंत्र और मंत्र जाप विधि बताई हैं.
त्रिकाल ज्ञान मंत्र
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ॐ नमो भगबती ज्वालामालिनी गृधगणपरिबृते हुं फट् स्वाहा
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ॐ नमो भगबती ज्वालामालिनी देबी सर्बभूतसंहार कारिके जातबेदसि ज्वलन्ति प्रज्वलन्ति ज्वल ज्वल प्रज्वल हुं रं रं हुं फट्
मंत्र जाप विधि
- आप इन दोनों मंत्र में से किसी भी एक मंत्र या आप चाहे तो दोनों मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
- त्रिकाल ज्ञान के लिए भगवती ज्वालामालिनी के यह दोनों मंत्र बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं.
- इस मंत्र का जाप आप दीवाली की रात्रि से शुरू करके लगातार 21 दिन तक करे.
- इस मंत्र का रोजाना 11000 बार जाप करना होता हैं.
- लगातार 21 दिन तक 11000 बार इस मंत्र का जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता हैं.
- इस मंत्र के अधिक से अधिक जाप से त्रिकाल ज्ञान की प्राप्ति होती हैं.
- यह मंत्र जाप करने से पहले एक बात का विशेष ध्यान रखे की किसी गुरु या तांत्रिक को अपने साथ रखे.
- इस मंत्र का जाप कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वासपूर्वक करता हैं. तो त्रिकाल ज्ञानी बन जाता हैं. लेकिन श्रद्धा में थोड़ी से भी खोट आई तो यह विधि सफल नहीं हो सकती हैं. इसलिए पूर्णरूप से श्रद्धा रखे.
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त्रिकाल दर्शन साधना
त्रिकाल दर्शन साधना मंत्र और विधि हमने नीचे बताई हैं.
त्रिकाल दर्शन साधना मंत्र
ओंकारमुखे विधुजिव्ह ओम हु चटके जय जय स्वाहा
मंत्र जाप विधि
- इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं.
- पूर्णिमा के दिन इस मंत्र जाप की शुरुआत करनी चाहिए.
- पूर्णिमा के दिन से शुरू करके लगातार 30 दिन इस मंत्र का एक माला जाप करना हैं.
- इस मंत्र का जाप आप वट के पेड़ के नीचे ही करे.
- इसके बाद आप अपने हाथो से बना हुआ मीठा भोजन अर्पित करे.
- यह उपाय करने से त्रिकाल दर्शन साधना सिद्ध हो जाती हैं.
- इसके बाद आपको भविष्य तथा भूतकाल दिखने लगता हैं.
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भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना
भुत भविष्य वर्तमान जानने की साधना हमने नीचे बताई हैं.
मंत्र
ओम क्रीं चिंचीपिशाचनी स्वाहा
मंत्र जाप विधि
- यह मंत्र जाप शुरू करने से पहले केसर, दूध और गोरोचन तीनों को मिलाकर भोजपत्र के ऊपर अष्टदल की आकृति बनाए.
- इसके बाद सभी दल में ह्रीं लिखे.
- अब इस वस्तु को अपने सिर पर धारण कर ले.
- अब आप अपनी इच्छा अनुसार 2 से 3 घंटे ऊपर दिया गया मंत्र जाप करे.
- यह प्रक्रिया आपको लगातार 7 दिन तक करनी हैं. बीच में एक भी दिन का गैप नहीं होना चाहिए. अगर किसी कारण से गैप हो जाता हैं. तो आपको फिर से शुरुआत करनी होगी.
- रोजाना 2 से 3 घंटे या फिर इससे अधिक समय भी आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र के जाप से आपमें भुत भविष्य वर्तमान जानने की क्षमता आती हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से त्रिकाल ज्ञान मंत्र तथा जाप विधि और त्रिकाल दर्शन साधना बताई हैं. इसके अलावा भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना भी बताई हैं.
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दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह त्रिकाल ज्ञान मंत्र तथा जाप विधि / त्रिकाल दर्शन साधना आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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Prahalad ji Purani se bhi purani vstu dekha jana sanbhav h