वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए – वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र, पूजन सामग्री

वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए – वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र, पूजन सामग्री – हिंदू धर्म में कोई भी कार्य रीति रिवाज के अनुसार ही करना पड़ता हैं. हिंदू धर्म में मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक रीति रिवाज के अनुसार ही अपना जीवन व्यतीत करता हैं. मनुष्य के मृत्यु तक तो ठीक था. लेकिन मनुष्य के मृत्यु के बाद भी परिवार वालो को कुछ परंपरा निभानी पडती हैं.

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हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद श्राद्ध करने की बहुत ही प्रचलित परंपरा हैं. और इस परंपरा को हर हिंदू धर्म के लोग निभाते हैं. आज हम मृत्यु के बाद व्यक्ति के पीछे किए जाने वाले श्राद्ध के बारे में आपके साथ चर्चा करने वाले हैं. इसलिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए. इसके अलावा वार्षिक श्राद्ध विधि तथा वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र भी बताने वाले हैं. साथ-साथ इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए    

वैसे तो श्राद्ध हर वर्ष किया जाता हैं. हर वर्ष श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक किया जाता हैं. हिंदू धर्म में अधिकतर लोग इस महीने में ही अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं.

लेकिन ऐसा भी माना जाता है की जिस दिन हमारे पूर्वज की मृत्यु होती हैं. उसी दिन श्राद्ध कर देना चाहिए. क्योंकि हमारे पूर्वज आश्विन कृष्ण पक्ष के दिनों में 15 दिन तक धरती पर आते हैं. उस दौरान अगर श्राद्ध कर दिया जाए. तो उनकी आत्मा को शांति मिलती हैं.

इसके अलावा यह भी मान्यता है की हमारे घर में किसी सदस्य का विवाह है. तो ऐसे में पितरों का श्राद्ध करके उनको याद किया जाए. तो वह बहुत ही प्रसन्न होते हैं. तथा पितरों के आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं. शादी विवाह के दिन उनके लिए भी भोजन आदि निकालकर उनको याद करके श्राद्ध आदि किया जा सकता हैं.

श्राद्ध का अर्थ सम्मान देना होता हैं. इसलिए आप वार्षिक श्राद्ध करने के साथ साथ ऐसे समय में भी अपने पितरों को याद करते है. तो उनको सम्मान मिलता हैं. उन्हें आप पर गर्व होता हैं. और वह आपके इस कार्य से खुश होते हैं. इसलिए समय समय पर पितरों को याद करना भी आपके के लिए अच्छा माना जाता हैं.

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वार्षिक श्राद्ध विधि

वार्षिक श्राद्ध संपूर्ण विधि हमने नीचे बताई हैं.

  • जिस दिन श्राद्ध है उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके महिलाएं पितरों के लिए शुद्ध भोजन बनाए.
  • इसके पश्चात ब्राह्मण देवता को अपने घर आमंत्रित करे.
  • इसके पश्चात ब्राह्मण देवता की मदद से पितरों की पूजा तथा तर्पण आदि करवाए.
  • पितरों को घर का बना सात्विक भोजन अर्पित करे.
  • इसके पश्चात ब्राह्मणों को खाना खिलाए. उन्हें दक्षिणा आदि दे. तथा जरूरत मंद लोगो को अपने हाथ से दान करे.
  • इस प्रकार से श्राद्ध करने से आपको पितरों की तरफ से पूर्ण फल की प्राप्ति होगी.

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वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र

वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र हमने नीचे बताया हैं.

वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र

ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये

वार्षिक श्राद्ध पूजन सामग्री

कपूर, रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, हल्दी, देसी घी, काला तिल, रक्षा सूत्र, शहद, तुलसी के पत्ते, मिटटी का दिया, गंगाजल, खजूर, सफ़ेद फुल, केला, दूध, दही, अगरबत्ती, पान का पत्ता, खीर, चावल आदि सामग्री वार्षिक श्राद्ध पूजन में लगती हैं.

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श्राद्ध में क्या भोजन बनाना चाहिए

श्राद्ध के दिन आप सात्विक भोजन बना सकते हैं. इसके अलावा खीर और मिष्ठान आदि भी बना सकते हैं. लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखे की श्राद्ध के दिन कोई भी तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए. क्योंकि इस दिन ब्राह्मणों को भी भोजन कराना होता हैं. इसलिए सात्विक और कम मिर्च मसाले वाला भोजन बनाए.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए / वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र, पूजन सामग्री आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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