विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र / विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र पाठ विधि – अगर आप विशेष प्रकार की इच्छा रखते है. तो आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र माता दुर्गा का स्तोत्र माना जाता हैं. इस स्तोत्र से आपकी विशेष प्रकार की इच्छा पूर्ण होती हैं. इसके अलावा आपको सभी प्रकार की समस्या से छुटकारा मिलता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र
विशेष इच्छा के लिए हमने नीचे कुंजिका स्तोत्र बताया हैं.
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥
॥अथ मन्त्रः॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥इति मन्त्रः॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।
॥ॐ तत्सत्॥
विशेष इच्छा के लिए आप इस माता दुर्गा के कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. विशेष इच्छा के लिए यह कुंजिका स्तोत्र बहुत ही कारगर और प्रभावशाली माना जाता हैं. इस स्तोत्र का पाठ करने की विधि हमने नीचे बताई हैं.
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विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र पाठ विधि
- आप इस स्तोत्र का पाठ नवरात्रि के दिनों में कर सकते हैं. अगर आप नवरात्रि के नौ दिन इस स्तोत्र का पाठ करते हैं. तो आपको विशेष लाभ की प्राप्ति होती हैं.
- इस स्तोत्र का पाठ शुरू करने से पहले सुबह उठकर स्नान आदि कर लेना हैं. इसके बाद माता दुर्गा की प्रतिमा को अपने सामने रखना हैं.
- सबसे पहले माता दुर्गा का स्मरण करना हैं. और उनकी पूजा अर्चना करनी हैं. इसके बाद आप अपनी इच्छा अनुसार माता को भोग लगाकर पुष्प आदि अर्पित कर सकते हैं.
- इतना हो जाने के बाद आपको ऊपर दिया गया कुंजिका स्तोत्र पाठ शुरू कर देना हैं.
- लेकिन कुंजिका स्तोत्र का पाठ शुरू करने के बाद एक बात का विशेष ध्यान रखे की आपको इस पाठ का उच्चारण सही तरीके से करना हैं. और पाठ करते समय बीच में रुकना नहीं हैं. पाठ शुरू करने के बाद पाठ पूर्ण होने के पश्चात ही आप अन्य कार्य कर सकते हैं.
- कुंजिका स्तोत्र का पाठ होने के बाद आपको माता दुर्गा से विशेष इच्छा प्राप्ति की प्रार्थना करनी हैं.
इस आसान विधि से आपका कुंजिका स्तोत्र पूर्ण हो जाएगा. और इसका विशेष लाभ आपको कुछ ही दिनों में देखने को मिलेगा.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र बताया है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह विशेष इच्छा के लिए कुंजिका स्तोत्र आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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