शादी विवाह के श्लोक / शादी के सात वचन हिंदी में – हिंदू सनातन धर्म में श्लोक का महत्व प्राचीन समय से ही चला आ रहा हैं. और आज के वर्तमान समय में भी श्लोक को उतना ही माना जाता हैं. जितना प्राचीन समय में माना जाता था. आज के समय में भी जब भी कोई मांगलिक कार्य होता हैं. तो सबसे पहले श्लोक उच्चारण के साथ कार्य की शुरुआत की जाती हैं.
ऐसा माना जाता है की इन श्लोक में इतना प्रभाव होता है. की व्यक्ति का जीवन श्लोक के कारण सुखमय बन जाता जाता हैं. आज भी शादी विवाह में श्लोक आदि बोलकर विवाह की शुरुआत की जाती हैं. जिस कारण दंपति विवाह के बाद खुशहाल जीवन जी सके.
आज हम आपको इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ शादी विवाह के श्लोक बताने वाले हैं. जो हर शादी में ब्राह्मण देवता के द्वारा बोले जाते हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शादी विवाह के श्लोक तथा शादी के सात वचन हिंदी में बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. इसलिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
शादी विवाह के श्लोक
शादी विवाह में उच्चारित किए जाने वाले श्लोक हमने नीचे बताए हैं.
श्लोक-1
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:
निर्विघ्नं कुरूमेदेव शुभ कार्येषु सर्वदा
श्लोक-2
प्रजयौनौ स्वस्तकौ विस्वमायुर्व्यअशनुताम्
श्लोक-3
धर्मेच अर्थेच कामेच इमं नातिचरामि
श्लोक-4
भगो अर्यमा सविता पुरन्धिर्मह्यांत्वादुः गार्हपत्याय देवाः
श्लोक-5
सखा सप्तपदा भव
सखायौ सप्तपदा बभूव
सख्यं ते गमेयम्
सख्यात् ते मायोषम्
सख्यान्मे मयोष्ठाः
श्लोक-6
धैरहं पृथिवीत्वम्
रेतोअहं रेतोभृत्त्वम्
मनोअहमस्मि वाक्त्वम्
सामाहमस्मि ऋकृत्वम्
सा मां अनुव्रता भव
श्लोक-7
भगो अर्यमा सविता पुरंधिर्मह्यं त्वादुर्गार्हपत्याय देवाः
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शादी के मंत्र हिंदी में / शादी के सात वचन हिंदी में
शादी के सात वचन मंत्र सहित हमने नीचे बताए हैं.
वचन नंबर-1
तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी
इस मंत्र में कन्या अपने वर से कहती है की आप किसी भी तीर्थ यात्रा में जाए. तो मुझे भी आपके साथ ले जाना, तथा कोई भी व्रत-उपवास आदि में भी मुझे अपना हिस्सा बनाना.
वचन नंबर-2
पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम
इस मंत्र में कन्या वर से कहती है की जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का मान-सम्मान करते हैं. उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी मान-सम्मान करना, अगर आप मर्यादा में रहकर ईश्वर की भक्ति करते है. तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
वचन नंबर-3
जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं
इस मंत्र में कन्या वर से कहती है की आप मुझे वचन दे की आप जीवन की तीनों अवस्था युवावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था में मेरा साथ देगे.
वचन नंबर-4
कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थ:
इस मंत्र में कन्या वर से वचन मांगती है की अब तक आप परिवार की जिम्मेदारी से मुक्त थे. लेकिन विवाह के बाद आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी. आप अपने कंधे पर यह जिम्मेदारी लेने का वचन दे.
वचन नंबर-5
स्वसद्यकार्ये व्यहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या
इस मंत्र में कन्या वर से कह रही है की घर के खर्चे तथा लेन-देन में आप मेरी भी राय लेने का वचन दे.
वचन नंबर-6
न मेपमानमं सविधे सखीना द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्वेत वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम
इस मंत्र में कन्या वचन वर से मांगती है की मै मेरी किसी सखी या स्त्रियों के बीच में बैठू तो आप मेरा अपमान उनके बीच में नहीं करेगे. तथा आपको जुआ और व्यसन आदि से दूर रहना होगा.
वचन नंबर-7
परस्त्रियं मातूसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कूर्या वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तमत्र कन्या!!
इस अंतिम मंत्र में कन्या वर से वचन मांगती है. की आप पराई स्त्री को माता की नजर से देखेगे. तथा हमारे आपसी प्रेम में कोई भागीदार नहीं बनना चाहिए.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शादी विवाह के श्लोक तथा शादी के सात वचन हिंदी में बताए हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह जानकारी पहुंच सके.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह शादी विवाह के श्लोक / शादी के सात वचन हिंदी में आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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