सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए | कथा कब की जाती हैं और पूजा विधि

सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए |भगवान सत्यनारायण की कथा कब की जाती हैं एवं पूजा विधि – सत्यनारायण की पूजा हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व रखती हैं. भगवान श्री सत्यनारायण की कथा का स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया हैं. सत्यनारायण की कथा सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने वाली कथा हैं. समाज के सभी वर्गो को यह कथा सत्यव्रत की शिक्षा प्रदान करती हैं. संपूर्ण भारत वर्ष में और हिंदू धर्म में इस कथा का जितना महत्व हैं उतना महत्व और किसी कथा का नहीं हैं.

हिंदू धर्म में सत्यनारायण की कहानी सबसे प्रचलित और कुछ मान्यता के अनुसार यह कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कहानी हैं. भगवान विष्णु के कई रूपों की पूजा की जाती हैं. लेकिन उनके सत्यनारायण स्वरूप की बात इस कहानी में की गई हैं.

दोस्तों आज हम आपको यही बताएगे की यह कहानी/ कथा क्यों की जाती हैं और कहानी के महत्व के बारे में बात करेंगे. और इस कथा के पीछे की कहानी/ कथा के बारे में भी चर्चा करेंगे. तो आइये चलिए जानते भगवान सत्यनारायण की कहानी/ कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी.

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श्री सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा

एक समय की बात हैं जब नारद जी मृत्युलोक में आए और उन्होंने देखा की सभी प्राणी अपने अपने कर्मो के अनुसार दुःख भोग रहा हैं. यह देखकर उनका ह्रदय द्रवित हो उठा और वे वीणा बजाते हुए श्री हरी के शरण में पहुच गए. और उन्होंने श्री हरी से कहा की हे नाथ अगर आप मुज पर प्रसन्न हैं तो मृत्युलोक के प्राणियों के दुःख हरने का कोई छोटा सा उपाय बताने की कृपा करे.

तब श्री हरी ने नारद जी से कहा की “हे वत्स तुमने विश्व के कल्याण की भावना से बहुत ही सुंदर प्रश्न किया हैं. आज में तुम्हे एक ऐसे व्रत के बारे में बताता हु जो महान पुण्यदायक हैं तथा मोह के बंधन को काटने वाला हैं. यह व्रत हैं श्री सत्यनारायण व्रत जिसको विधि पूर्वक करने से मनुष्य सांसारिक सुख को भोगकर परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होगी”.

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उसके पश्चात काशीपुर नगर के एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा लेते हुए देख विष्णु जी स्वयं बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उस निर्धन ब्राह्मण के पास गए. और कहा की हे विप्र श्री सत्यनारायण भगवान सभी कष्टों को दूर करने वाले हैं. तुम भी उनका व्रत एवं पूजन करो इस व्रत से मनुष्य को सभी दुखो से मुक्ति मिलती हैं.

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इस व्रत में उपवास का भी एक अपना महत्व हैं. लेकिन उपवास का मतलब भोजन नहीं लेना इतने तक सिमित नहीं उपवास का मतलब समझना है की उस समय आपके पास भगवान श्री सत्यनारायण विराजमान हैं. इसलिए उस दिन भगवान का श्रद्धा एवं विश्वास पूर्वक पूजन करे उनका श्रवण करे.

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विष्णु जी द्वारा बताए गए इस व्रत के बारे में व्यास मुनि द्वारा स्कंद पुराण में वर्णन किया गया हैं. सुखदेव मुनि जी ने बताया की इस व्रत को आगे जिन्होंने किया है जैसे की बुढा लकडहारा, ग्वाला, धनवान सेठ और लीलावती कलावती की कहानी आदि आज सत्यनारायण कथा का भाग बन चूका हैं.

भगवान सत्यनारायण की कथा कब की जाती हैं एवं पूजा विधि

भगवान श्री सत्यनारायण की कथा एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जा सकता हैं. यह कथा करने का मुख्य उदेश्य सत्य की पूजा करना हैं. इस कथा में भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती हैं. इस दिन व्रत करने वाले उपासक सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात भगवान श्री सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले और सूर्यदेव को नमस्कार करना चाहिए.

सूर्यदेव को नमस्कार करते हुए संकल्प ले कि है सूर्यदेवता में अपने सभी पापो से मुक्ति पाने के लिए और सभी कष्टों को दूर करने के उदेश्य से यह व्रत का आरंभ कर रहा हु.

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यह संकल्प लेने के पश्चात पुष्प, पत्र आदि से सूर्यदेवता का पूजन करे. पूरा दिन उपवास रहकर सायंकाल समय में भगवान विष्णु की पूजा-आराधन, अर्चन और स्तवन करे. इस दिन किसी योग्य पंडित के द्वारा भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण करवाए. उसके पश्चात भगवान शालिग्राम का पूजन, अर्चन और अभिषेक करे तथा अपनी इच्छा शक्ति अनुसार दान करे.

भगवान सत्यनारायण की कथा के कुछ सामान्य नियम

  • व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता हैं.
  • व्रत के दिन किसी भी तरह से पानी की बर्बादी नहीं करने चाहिए.
  • पुरुषो को अपनी दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए.
  • महिलाओ को अपने बाल नही धोने चाहिए.
  • व्रत के दिन कपडे भी नहीं धोने चाहिए.
  • नाख़ून नहीं काटने चाहिए.
  • व्रत के दिन अपने घर को धोना नहीं चाहिए और पोछा भी नहीं लगाना चाहिए.
  • अगर पूजा संबंधित संकल्प लिया है तो उसे पूरा करना जरूरी हैं.
  • व्रत के दिन पूजा करने के पश्चात प्रसाद तुरंत ही ग्रहण कर लेना चाहिए.

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सत्यनारायण व्रत पूजन कैसे करे

  • सत्यनारायण व्रत करने के लिए व्यक्ति को पुरे दिन उपवास करना चाहिए.
  • व्रत करने वाले उपासक को स्नान करने के पश्चात शुद्ध और धुले हुए वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • उपासक माथे पर तिलक लगाये और शुभ मुहूर्त में पूजन की शुरुआत करे.
  • शुद्ध आसन पर बैठ कर पूर्व या उत्तर की दिशा तरफ मुँह रखे तथा सत्यनारायण भगवान का पूजन करे.
  • उसके पश्चात सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण करे.
  • संध्याकाल समय में किसी अच्छे से पंडित को बुलवाकर कथा का श्रवण करवाना चाहिए.
  • भगवान सत्यनारायण को भोग में चरनामृत, पान, कुमकुम, तिल, मोली, फल, फुल, सुपारी आदि अर्पित करे इस से सत्यनारायण भगवान प्रसन्न होते हैं.
  • सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करना चाहिए. क्योंकि यह दिन सत्यनारायण का प्रिय दिन माना जाता हैं. इस दिन चंद्रमा पूर्ण कलाओ के साथ उदित होते हैं और जिस से मनुष्य के जीवन में भी पूर्णता आती हैं.
  • घर का वातावरण शुद्ध करके चौकी पर कलश स्थापित करके भगवान श्री सत्यनारायण की फोटो रखकर पूजन करे.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल ( सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए | कथा कब की जाती हैं और पूजा विधि ) में भगवान श्री सत्यनारायण की कथा कब और कैसे करना तथा व्रत करने वाले उपासक को क्या नियम का ध्यान रखना होता हैं इस बारे में बताया. और इसके पीछे छिपी की कहानी के बारे में चर्चा की आप पर भी भगवान श्री सत्यनारायण की कृपा बनी रहे और उनके आशीर्वाद से आपकी मनोकामना पूर्ण हो यह प्रार्थना करते हैं. आशा करते है की आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा.

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